एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है। ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है। शोर फिल्म के दिल को छू जाने वाले इस गीत के लेखक संतोष आनंद से मैंने ये इंटरव्यू पिछले साल किया था। आपको बताते चलें कि संतोष आनंद ने जितना फिल्मों से नहीं कमाया उस से कहीं ज्यादा उन्हें मंच से मिला है। वो बरसों से मंचीय कवि के रूप में देश विदेश में ख्याति अर्जित करते रहे हैं। काव्य मंचों पर इस दौर में हो रहे बदलावों के बारे में जब उनसे चर्चा की गई तो उन्होंने क्या कहा, आप सुनेंगे तो आश्चर्य में पड़ जाएँगे। तीन भागों में उनका साक्षात्कार यहाँ दे रहा हूँ।
ओमकार चौधरी, संपादक हरिभूमि।