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माघ माहात्म्य सातवाँ अध्याय 'हर'रोज अमृत पान करके लक्ष्मीवान पुत्रवान होते है श्रीहरि धाम को पाते है

بواسطة Chocolate Mommy
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تم نشره في 2020/12/15

माघ मास माहात्म्य – सातवाँ अध्यायजो पांच सात बार इस माहात्म्यं को सुनते है वे श्रीहरि के धाम को पाते है जिस प्रकार कमल के पत्ते को जल स्पर्श 'नहीं' करता उसी प्रकार जो मनुष्य मात्र माहात्म्य सुनने से महापापादि पाप 'कभी' स्पर्श नहीं करते जो श्रद्धा से सुनता है वह दुर्लभ गति को प्राप्त होता है | मनुष्य अपने कर्मफल खुद अपने जीवन काल मे भोगता है कोई किसी दूसरे के कर्मो को नहीं भुगतता जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा माघ मास मे तुलसी जी के सुहाग पिटारी चढ़ाने से सुहागिनों का सुहाग अखण्ड रहता है माघ मास मे तीन दिन पवित्र नदियों में स्नान और व्रत करने से सुपात्र और सुयोग्य पुत्र मिलता है वे लक्ष्मीवान पुत्रवान होते है उन्हें कुबेर का खजाना मिलता है अमृत का पान करके मोक्ष प्राप्त कर सुखी होता है | फल भोगना ही पड़ता है प्रारब्ध तो हर किसी को भोगने होते है पद्मपुराण में अनुसार माघ मास में पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। कथा सुनने से शाप या पाप 'नहीं' लगता, 'जरा भी' दुर्गति नहीं होती 'और' छः शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर) देह में पीड़ा 'नहीं' करते माघ मास मे तीन दिन पवित्र नदियों में स्नान और व्रत करने से सुपात्र और सुयोग्य पुत्र मिलता है वे लक्ष्मीवान पुत्रवान होते है उन्हें कुबेर का खजाना मिलता है मनुष्य महापापी हो तो भी वह वैकुण्ठ को प्राप्त होता है 'और' विष्णु के साथ आनन्द करता है|मृत्यु के बाद वह परम पद को पाता हैजो मनुष्य रात-दिन, सोते, चलते, बोलते और खड़े रहते हुए माहात्म्य सुनेगे तो वह 'सनातन' मोक्ष को प्राप्त होता है|जो चाहेंगे वो पाएंगे इस लोक और परलोक दोनों का सुख भोगेंगे जो ' श्रवण 'हर' रोज करता है उसने दक्षिणा के साथ अश्वमेध 'आदि' यज्ञ किये ऐसा माना जाता है कथा सुनने से शाप या पाप 'नहीं' लगता, 'जरा भी' दुर्गति नहीं होती 'और' छः शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर) देह में पीड़ा 'नहीं' करते माघ मास माहात्म्य – अध्याय |ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जो पुण्य ब्राह्मणो को एक हजार गोदान करने से मिलता हे उससे दस गुना पुण्य इस माहात्म्य को सुनने से मिलेगा माघ स्नान का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, इस स्नान से बहुत से पाप खतम हो जाते हैं. इस वीडियो में माघ माहात्म्य के चौथे अध्याय का वर्णन किया गया है. मात्र माहात्म्य सुनने से लोक और परलोक दोनों सुधरता है माघ मास को पुण्य कमाने वाला मास कहते है कथा सुनकर महापुण्य कमाए त्र माहात्म्य सुनेगे तो जो चाहेंगे वो पाएंगे इस लोक और परलोक दोनों का सुख भोगेंगे दुनिया के सभी सुख देने वाली व्रतकथा आपकी झोली बिन मांगे भरेगी बैकुण्ठ वास मिले अन्न दान, छाता दान, बिस्तर, वस्त्र का दान गोदान, , छत्र, जूता, फल तिल दान कम्बल दान धार्मिक पुस्तक, अनाज, फल, मिठाई दान कर सकते है धन्यवाद राधे राधे जी कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस व्रत से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है. जिन्हें संतान नहीं है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. परिवार में सुख-शांति बढ़ती है. जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा, उनका जल्दी ही विवाह हो जाता है. ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. बुद्धि और शक्ति का वरदान प्राप्त होता है और दोष दूर होता है धन चाहने वाले को धन संतान चाहने वाले को संतान नौकरीचाहने वाले को नौकरी कुँवारो के ब्याह सुहागिनों को अखंड सुहाग दुनिया के सभी सुख मिलते है #माघ_मास_माहात्म्य_सातवाँ_अध्याय #मार्गशीर्ष_महीने_की_व्रत_कथा व्रत कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस व्रत से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है. जिन्हें संतान नहीं है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. परिवार में सुख-शांति बढ़ती है. जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा, उनका जल्दी ही विवाह हो जाता है. ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. बुद्धि और शक्ति का वरदान प्राप्त होता है और दोष दूर होता है. एक चौथाई कथा सुनने मात्र से ब्रह्म हत्या जैसे पाप भी धूल जायेगे अश्वमेघ यघ से जो पुण्य मिलता है उससे सौ गुना पुण्य मिलता है इस एकादशी से एक हजार साल तक ब्राह्मणो को साठ साल तक भोजन कराने से जो पुण्य मिलता है वो इस व्रत से मिलेगा जो पुण्य ब्राह्मणो को एक हजार गोदान करने से मिलता हे

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