भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में मृत्यु और पुर्नजन्म की व्याख्या बहुत ही विस्तृत रूप से बताई गई है जिसके मुताबिक मृत्यु के बाद केवल शरीर नष्ट होता है,लेकिन आत्मा अमर रहती है। जो मृत्यु के बाद फिर से जीवन चक्र में और जन्म लेती है जिसे पुर्नजन्म कहा जाता है।
दरअसल अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति से जुड़े परिवार की कई पीढ़ियों तक को पितृदोष का दंश झेलना पड़ता है।
आपको बता दें कि हिन्दू शास्त्रों में जीवित लोगों के साथ-साथ मृत व्यक्तियों को भी भोजन और तर्पण के जरिए मुक्ति दिलाने के बारे में बताया गया है। इसलिए आज हम आपको पितृदोष के कारण, लक्षण और कुण्डली योग के बारे में बताते हैं जिससे आप इसके असर से समय रहते ही बच सकें या कम कर सकें।
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